۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | आसमानी किताब पर ईमान लाना और पैगम्बर (स) का अनुसरण करना पैगम्बरों के दर्जे तक पहुंचने का साधन है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
رَبَّنَا آمَنَّا بِمَا أَنزَلْتَ وَاتَّبَعْنَا الرَّسُولَ فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ  रब्बना आमन्ना बेमा अंज़लता वत्तबनर रसूला फ़कतुब्ना माअश शाहेदीना (आले-इमरान, 53)

अनुवाद: और कहा, ऐ हमारे रब, जो कुछ तूने उतारा है उस पर हम ईमान लाए और हम रसूल (स) के पीछे हो लिए। इसलिए, हमें (कार्यालय) उन लोगों में सूचीबद्ध करें जो (सच्चाई की) गवाही देते हैं।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अल्लाह तआला की हुकूमत से जुड़े रहना दुआ के शिष्टाचार में से एक है।
2️⃣ अल्लाह तआला की प्रभुता पर ध्यान केंद्रित करना मनुष्य को इबादत करने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करता है।
3️⃣ ईश्वर की उपस्थिति में उसकी पुस्तक पर विश्वास व्यक्त करना और उसके दूतों का अनुसरण करना एक अच्छी बात है।
4️⃣ उन लोगों का दर्जा ऊंचा है जो अपनी उम्मत के कामों की गवाही देंगे।
5️⃣ आसमानी किताब पर ईमान लाना और पैगम्बर (स) का अनुसरण करना पैगम्बरों के दर्जे तक पहुंचने का साधन है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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